25 March 2023

अक्षय पुण्य और सुख प्राप्ति का महापर्व।

अक्षय तृतीया क्या है?

भारत देश धर्म, आस्था और त्योहारों का प्रतीक है। हमारे देश में वर्ष भर में कई त्यौहार मनाये जाते है। जिसे भारतवासी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते है। सभी त्योहारों में मांगलिक कार्यों के लिए अक्षय तृतीया का विशेष महत्व माना गया है। अक्षय का अर्थ है जो अविनाशी हो, अनश्वर हो, अनंत हो, क्षय रहित हो और शाश्वत हो। पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के पर्व के रूप में मनाया जाता है।अक्षय तृतीया बसंत और ग्रीष्म ऋतू के संधिकाल का उत्सव है। इस शुभ दिन, सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहते हैं। भारतीय जनमानस में अक्षय तृतीया, आखातीज और अक्षय तीज के नाम से भी प्रसिद्ध है। माना जाता है की जिस प्रकार वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है और वैशाख के समान कोई मास नहीं है। इसी प्रकार अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है।

 

अक्षय तृतीया की मान्यताएं।

हिंदू धर्म शास्त्रों में कहा जाता है कि अक्षय तृतीया तिथि सौभाग्य और अक्षय प्रभाव लाती है और इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि अनुसार पूजा करने से धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस महत्वपूर्ण पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण एवं भविष्य पुराण आदि में मिलता है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है और ये दिन सभी पापों से मुक्त होता हैं इसलिए इस दिन किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती। यह एक पवित्र दिन है इस दिन बिना पंचांग देखें सभी मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं जैसे की नया वाहन या वस्तु लेना गृहप्रवेश, विवाह, व्यापार या उद्योग की शुरुआत करना आदि। माना जाता है की इस दिन जो भी अच्छा काम करोगे उसका फल अनंत होगा, उसमें सफलता प्राप्त और बढ़ोतरी होगी और उसका परिणाम भी अति फलदायक होगा। सही तौर पर अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप ही शुभ फल प्रदान करती है।

 

अक्षय तृतीया की पौराणिक कथाएं। 

भविष्य पुराण के एक प्रसंग के अनुसार शाकल नगर में धर्मदास नामक वैश्य रहता था। धर्मदास भगवान के प्रति असीम आस्था रखता था। एक दिन धर्मदास ने अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में जाना कि इस दिन पूजा-पाठ और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती हैं। उसके बाद वैश्य हर साल अक्षय तृतीया के दिन पूजा और दान करने लगा, उसकी पत्नी उसको ऐसा करने से मना करती थी लेकिन वैश्य ने दान और पूजा पाठ करना कभी नहीं छोड़ा। कुछ वर्षो में धर्मदास की मृत्यु हो गयी। परन्तु अगले जन्म में उसने द्वारका के कुशावती नगर में जन्म लिया इस नए जन्म में भी वह धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति ही था जो आगे चलकर उस नगर का सर्वसुख सम्पन्न राजा बन गया। माना जाता है की उसे यह सब अक्षय तृतीया के पूजा-पाठ और श्रद्धा के फलस्वरूप ही प्राप्त हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन इस कथा को पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया था। अक्षय तृतीया के दिन सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था और इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम अवतरित हुए थे तभी से हर वर्ष इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। अक्षय ऊर्जाओं वाले अविनाशी देवता भगवान विष्णु का यह प्रथम मनुज अवतार हैं। इसके अलावा ब्रह्मा पुत्र अक्षय कुमार का जन्म और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था। वहीं, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि इस दिन किया गया कोई भी नया निर्माण या सांसारिक काम निश्चित शुभ होता है। इसलिए इस दिन मांगलिक कार्य की शुरुआत की जाती है।

 

अक्षय तृतीया पर दान पुण्य की विशेषताएं।

अक्षय तृतीया अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने, दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए, और अपनी योग्यता को निखारने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इसलिए इस तिथि को अध्ययन, साधना, ध्यान, जप-तप, दान और सेवा के लिए सर्वाधिक उत्तम माना जाता है। धर्मग्रंथो में इस शुभ दिन पर दान करने का विशेष महत्व भी बताया है जो कई गुना परिणाम देता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। साथ ही दान को वैज्ञानिक तर्कों में ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर भी देखा जा सकता है। कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने के बाद दान करना, दीन दुखियों की सेवा करना और मन व अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है। अक्षय तृतीया के दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन श्रद्धाभाव और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान और सेवा अवश्य करें